हम सब एक हैं
शिवानी जैन एडवोकेट Byss
रंग अलग हैं, रूप अलग हैं,
लेकिन दिल तो एक हैं।
भाषाएँ अलग हैं, बातें अलग हैं,
लेकिन सोच तो एक हैं।
मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारे,
सबकी मंजिल तो एक है।
ऊँच-नीच, जात-पात,
ये सब बस एक भ्रम है।
जब हम सब एक होकर,
हाथ में हाथ मिलाते हैं।
तब दुनिया को बताते हैं,
कि हम सब एक हैं।
मतभेद हो सकते हैं,
लेकिन मनभेद नहीं।
क्योंकि हम सब एक ही,
मिट्टी के बने हैं।