( कविता ) ( कमिना )
एक गली में एक दुकान है
वहीं पर एक किराया का मकान है
उस मकान पर दो प्रेमी जोड़ी रह रहे
आपस में बैठ मीठी मीठी बातें कह रहे
दो साल हुए अच्छा ही चल रहा था
समय मजे से निकल रहा था
मगर एक दिन......!
प्रेमी :- हे जानू तुमारे बगैर नहीं जी पाऊंगा
ये जिन्दगी में तुम ना हो तो मर ही जाऊंगा
ये कह कर प्रेमी प्रेमिका को गले लगाया
इतने में जंगल से एक बाघ आया
बाघ उन दोनों की ज्यान लेने ही वाला था
झपड़ कर उनको खाने ही वाला था
प्रेमी डर कर प्रेमीका के पीछे की ओर चला
वह थर थर कांपते हुए बोला
हे बाघ मुझे नहीं तू इसी लड़की को खाले
इसकी हड्डी - पसली जी भर कर चबाले
ये सुन प्रेमिका बहुत दुःखी होने लगी
वह बेचारी सुबक सुबक रोने लगी
ऐसा देख शायद बाघ को तरस आया
वह चला गया उसने उसे नहीं खाया
फिर क्या था.......!
प्रेमिका ने प्रेमी के गाल पर दो चांटा मारा
प्रेमी लाल - पीला हो गया बेचारा
प्रेमिका :- तू निकला कितना कमिना
ये जिन्दगी तेरे संग नहीं जीना
तेरा मेरा जो संबंध है इसी बख्त तोड़ती हूं
तुझ को तो मैं अभी के अभी छोड़ती हूं
तुझ को तो मैं अभी के अभी छोड़ती हूं.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




