मृत्यु सत्य है,
क्या ये सत्य है,
फिर भी लोग जीते हैं,
तो मृत्यु सत्य नहीं है,
मोक्ष सत्य है,
क्या मोक्ष सत्य है,
फिर भी लोग जीते हैं,
तो मोक्ष सत्य नहीं है,
क्या ज्ञान और स्मृति सत्य है,
इसके बिना भी तो लोग जीते हैं,
सब सत्य है,
फिर भी कोई सत्य स्थिर नहीं,
लोग जीते हैं ये ही सत्य है,
क्योंकि फिर भी लोग जीते हैं,
पर इसी सत्य को छल, माया और जाल बताया गया,
नहीं तो ये सत्य आज सुंदर और ख़ुशबू देता।।
- ललित दाधीच।।