Khud Se Khud Hi Ko Nikalkar | Ashok Kumar Pachauri ‘Ardra’ | Sad Song 2025 | Heart Touching Song
“शब्द मरे नहीं करते… वे बस सुर बनकर लौट आते हैं।”
कुछ लफ़्ज़ वक्त से परे होते हैं…
वे सिर्फ़ काग़ज़ पर नहीं, रूह पर लिखे जाते हैं।
“खुद से खुद ही को निकालकर” — एक ऐसा गीत है जो दिल से जन्मा है, और दिल तक पहुँचने के लिए बना है।
Baagi Baani प्रस्तुत करता है एक soulful poetic composition,
जो समर्पित है उस शख़्स को —
जिनके शब्दों में मोहब्बत थी, एहसास था, और ज़िंदगी की सच्चाई की ख़ुशबू थी —
Late Ashok Kumar Pachauri ‘Ardra’ Ji
उनके लिखे अल्फ़ाज़ आज एक नई आवाज़ में जिंदा हो उठे हैं,
एक ऐसे एहसास में जो सिर्फ़ सुना नहीं, महसूस किया जाता है।
📍 गायन/रचना:
🎼 Title: Khud Se Khud Hi Ko Nikalkar
🖋️ Lyrics: Ashok Kumar Pachauri 'Ardra' Ji (Courtesy: Likhantu.com)
🎬 Concept & Coordination: Abhishek Mishra
🎨 Presented By: Baagi Baani
📽️ Genre: Hindi New Song 2025l | Adra Ji Special | Indian Hindi Music
📅 Release Year: 2025
👉 अगर आपको यह गीत पसंद आए तो Like, Share और Subscribe करना न भूलें और कमेंट में अपने भाव जरूर लिखें –
“खुद से खुद ही को निकालकर” एक आत्मीय यात्रा है —
जहाँ शब्द इबादत बन जाते हैं,
और सुर एक अनकही दुआ।
इस गीत में “मैं” और “तू” का संवाद नहीं,
बल्कि मनुष्य और उसकी भावनाओं का अनन्त मिलन है —
जहाँ प्रेम त्याग में बदल जाता है,
और आत्मा समर्पण में।
हर पंक्ति, हर सुर…
कवि अर्द्रा जी की विरासत को सलाम है।
“खुद से खुद ही को निकालकर, तुझ पर सब कुछ कुर्बान कर…”
यही तो वो भाव है, जो अर्द्रा जी ने अपने शब्दों में जिया था।
यह गीत सिर्फ़ एक आवाज़ नहीं,
बल्कि एक दोस्त की याद का प्रतिध्वनि है —
जो अब भी हर कविता, हर धुन, हर दिल की धड़कन में जिंदा है।
यह गीत उन सभी के लिए है जिन्होंने कभी किसी को खोया,
पर उसकी यादों को अपने शब्दों और संगीत में ज़िंदा रखा।
🎧 Listen | Feel | Relive
हर पंक्ति एक दुआ है,
हर सुर एक श्रद्धांजलि।
“खुद से खुद ही को निकालकर” सुनिए — दिल से, सिर्फ़ दिल से। ❤️
📌 Dedicated to:
Late Ashok Kumar Pachauri ‘Ardra’ Ji
(एक कवि, एक मित्र, और एक अमर आत्मा,
जिनकी लेखनी हमेशा जिंदा रहेगी…)
👉 Connect with Baagi Baani:
Instagram | YouTube | Facebook

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




