तुम किसके लिए अरज़ते हो
पड़ोसी पाटीदारों से लड़ते हो
एक एक इंच के लिए
कोट कचहरी दौड़ते हो ।
तुम्हारा है क्या जो तुम पाना
चाहते हो ।
तुम्हारा है क्या जो आपस में बांटते हो
कल जब तुम छोटे थे।
आपसी रिश्ते कितने अच्छे थें ।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक
दोनो भाई एक दूसरे के पूरक थे ।
तो फिर ऐसी क्या बात हुई की
जब तुम मां बाप बनें तो
सबकुछ बदल गया ।
भाई भाई का अब दोस्त नहीं
दुश्मन बन गया।
कभी अपनी हिस्से की रोटी भी
भाई भाई को दे देते थे ,
आज़ ऐसा क्या हुआ की
भाई भाई की रोटी छिनने पर उतारू है।
सड़कों पर ऐसे लड़ रहें हैं
जैसे बात कोई बाजारू है।
याद करो तुम्हारे पिता भी
तुम्हारे चाचा से ऐसे हीं लड़े थे।
और तुम दोनो भाई भी वही कर रहे हो ।
कल वही तुम्हारे बच्चे करेंगें।
तुम्हारे बचाए पाई पाई के लिए
आपस में मर मिटेंगे।
पर उनके लिए जो तुम्हारे बाल बच्चें हैं
अभी बहुत नन्हें मुन्ने से हैं
बहुत छोटे हैं इसलिए बहुत प्यारे हैं।
फिर वहीं चीज़े तुम्हारे साथ दोहराई
जायेगी।
जिनके लिए तुमने सबसे लड़ा
सब अरजा पाई पाई जोड़ा
सब इन्हीं बच्चों के द्वारा तोड़ी जायेंगी।
याद रखना यहां कोई किसी के लिए नहीं है
सब अपने हक़ हकूक के लिए जीतें हैं
वक्त पड़ने पर बेटा बाप को भी पिटते हैं ।
फिर भी ना जाने लोग इन रिश्तों को
क्यूं सींचते हैं ?
दर्द सहतें हैं फिरभी कुछ ना सिखतें हैं ।
बस रिश्तों के भंवर में उलझे रहते हैं..
बस सभी रिश्तों के भंवर में फंसे रहते हैं ।
सब खुश भी हैं और इससे निकलना भी
नहीं चाहतें है..
बस सब रिश्तों के भंवर में खुशी खुशी
फंसे रहना चाहते हैं..
बस सब रिश्तों के भंवर में खुशी खुशी
फंसे रहना चाहते हैं...