लोग अपने घरों से निकल आतें हैं
जब भी वो इस गली से गुजरती है
अपना सब कुछ यूं ही भूल जाते हैं
जब भी वो इस गली से गुजरती है
गिना करते हैं, उसकी, पलक झपकने को
अपनी पलकें झपकाना,भूल जाते हैं
जब भी वो इस गली से गुजरती है
लपेटती है जब, जुल्फों को उंगलियों में
लोग सांस लेना तक भूल जाते हैं
जब भी वो इस गली से गुजरती है
वो जान बूझकर ही,कहर ढाया करती है
फिर भी लोग, मचल मचल जाते हैं
जब भी वो इस गली से गुजरती है
बक्शी है खुदा ने, ऐसा हुस्न उसे
सबके सब खीचे चले आते हैं
जब भी वो.......................!!
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







