ऐसे भी ख्वाब मेरे यूँ बिखरेगें कभी सोचा ना था।
हर दुआ में मांगा बहुत पर उसे मेरा होना ना था।।1।।
सुबह से शाम हो गई उनका इंतजार करते करते।
उनको आते ही आते यूँ बिस्तर पर सोना ना था।।2।।
पता था मुझे आज के बाद पराये हो जाएंगे हम।
पर उसे भी जाते जाते इस कदर तो रोना ना था।।3।।
इक अरसे से खुदको झूठी तसल्ली दे रहें हैं हम।
गैर का हो गया है वो जिसको मुझे खोना ना था।।4।।
लबों पर से उनके हम कभी हंसी जाने ना देते हैं।
पर रोने के वक्त मेरे पास कोई खिलौना ना था।।5।।
जीने को तो जी लेंगे हम बाकी की सारी जिंदगी।
पर माँझी को यूं कश्ती साहिल पे डुबोना ना था।।6।।
वह मेरी ही बनाई तस्वीरें है जिन्हें चुराया गया है।
मुझे रंगों भरे हाथ दिखाने से पहले धोना ना था।।7।।
क्यूँ परेशाँ होता है दूसरों की फसलों को देखके।
तुझे अपने खेतों में सस्ते बीजों को बोना ना था।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ