टोपी मेरी
टोपी मेरी नीली-नीली,
हवा चले तो उड़े कभी-कभी।
मम्मी कहती – सिर पे रखना,
धूप से मत घबरा बच्चा।
बस्ता मेरा
बस्ता मेरा भारी-भारी,
रखता उसमें चीज़ें सारी।
पेंसिल, रबर, किताबें पांच,
कभी-कभी मिल जाए आम का आंच।
सेब से सब
सेब मेरा गोल-मटोल,
लाल-लाल सा जैसे डोल।
मीठा मीठा रस टपके,
मम्मी बोले – रोज़ खा बेटा।
बिल्ली आई
म्याऊं म्याऊं बिल्ली आई,
चुपके से रसोई में घुस आई।
दूध देखकर चम्मच ली,
दादी ने फिर टोका जी!
कुत्ता भौंका
कुत्ता भौं-भौं दरवाज़े पर,
दुम हिलाए बैठे घर पर।
जो भी आए, पूछे नाम,
प्यारा पहरेदार है राम।
- ललित दाधीच।।