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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

तोता और कौआ - काशीनाथ त्रिवेदी

Apr 26, 2024 | काल्पनिक रचनायें | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 23,558


एक था तोता। बड़ा भला और समझदार था। एक दिन तोते से उसकी मां ने कहा, "भैया! अब तुम कहीं कमाने जाओ।"
"ठीक", कहकर तोता कमाने निकला। चलते-चलते बहुत दूर पहुंच गया। वहां एक बहुत बड़ा सरोवर था। सरोवर की पाल पर आम का एक पेड़ था। तोता उस पेड़ पर बैठ गया।
आम के पेड़ पर बहुत-से कच्चे और पके आम लगे थे। तोता आम खाता, आम की डाल पर झूलता और अपनी बोली में बोलता। इसी बीच उधर से एक ग्वाला निकला। तोते ने ग्वाले से कहा:
ओ भैया, गायों के ग्वाले,
ओ भाई, गायों के ग्वाले!
मेरी मां से कहना,
तोता भूखा नहीं है,
प्यासा नहीं है,
आम की डाल पर,
सरोवर की पाल पर,

कच्चे आम खाता है,
पक्के आम खाता है,
मौज उड़ाता है।
ग्वाले ने कहा, "भैया! अपनी इन गायों को छोड़कर मैं तुम्हारी मां से कहने कहां जाऊं? तुम्हें जरुरत हो, तो इनमें से एक बढ़िया गाय तुम ले लो।" तोते ने एक गाय रख ली और आम के तने से बांध दी।
कुछ देर बाद उधर से एक और ग्वाला निकला। उसके पास भैंसे थीं। तोते ने अपनी मां को उसके द्वारा संदेश भिजवाना चाहा, पर ग्वाले ने कहा, "भैया! मैं तो तुम्हारा यह संदेश पहुंचा नहीं सकूंगा। तुमको जरुरत हो, तो इनमें से एक भैस ले लो।" तोते ने एक अच्छी-सी भैंस रख ली और आम के तने से बांध दी।
थोड़ी देर के बाद उधर से बकरियों को हांकता एक ग्वाला निकला। तोते ने बकरियों के ग्वाले से वही कहा, पर वह ग्वाला माना नहीं। उसने कहा, "भैया! अपनी इन बकरियों हो तो इनमें से दो-चार बकरियां ले लो।" तोते ने दो-चार बकरियां रख लीं और उनको आम के तने से बांध दिया।
बाद में उधर से भेड़ों को लेकर एक ग्वाला निकला।
तोते ने उससे भी कहा कि वह उसकी मां को उसकी कुशलता का समाचार दे दे, लेकिन वह बोला, "अरे भैया! अपनी इन भेड़ों को छोड़कर मैं तुम्हारी मां से कहने कैसे जा सकता हूं? तुमको जरुरत हो, तो चार-पांच भेड़ें रख लो।" तोते ने चार-पांच भेड़ें रख लीं और उनको आम के तने से बांध दिया।
बाद में उधर से घोड़ों का, हाथियों और ऊंटों का रखवाला निकला। घोड़ो के रखवाले ने तोते को एक घोड़ा दिया, हाथियों के रखवाले ने एक हाथी दिया और ऊंटों के रखवाले ने एक ऊंट दिया।
इसके बाद तोता गाय, भैस, बकरी, भेड़, घोड़ा, हाथी और ऊंट, इन सबको लेकर एक बड़े शहर में पहुंचा। वहां उसने इन सबको बेच दिया। बेचने से तोते को बहुत-से रुपए मिल गये। कुछ रुपयों से उसने सोना खरीदना, चांदी खरीदी और गहने बनवा लिए। गहने उसने नाक में, कान में और चोंच में पहन लिये। बचे हुए रुपयों को अपने पंखों में और अपनी चोंच में रख लिया। बाद में वह अपने घर की तरफ रवाना हुआ। घर पहुंचते-पहुंचते बहुत रात हो गई। घर के सब लोग सो चुके थे। तोते ने सांकल खटखटाई और मां को पुकारा:
मां, मां!
दरवाजा खोलो,
दरवाजा खोला,
बिछायन बिछवाओ,
खटिया लगवाओ,
शहनाई बजवाओ,
तोता पंख झाड़ेगा,
मां ने सोचा कि तोता इतनी रात बीते कैसे आ सकता है? यह तो कोई चोर होगा और झूठ बोल रहा होगा। मां ने दरवाजा नहीं खोला। तोता अपनी काकी के घर पहुंचा। वही बात उसने काकी से कही, पर काकी ने भी दरवाजा नहीं खोला। फिर वह बहन के यहां और बुआ के यहां गया। वहां भी वैसा ही हुआ।
तोता अपने कई रिश्तेदारों के घर गया, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद तोता अपनी दादी के घर पहुंचा। पहुंचकर उसने दादी मां को पुकारा:
दादी मां, दादी मां,
दरवाजा खोलो,
दरवाजा खोलो,
बिछायन बिछवाओ।
खटिया लगवाओ,
शहनाई बजवाओ,
तोता पंख झाड़ेगा।
दादी ने तोते की आवाज पहचान ली। उसने कहा, "बेटे मेरे! ज़रा ठहरो। मैं आती हूं। अभी दरवाजा खोलती हूं।" दादी ने दरवाजा खोला और घर के अन्दर पहुंचकर तोते ने दादी के पैर छुए। दादी मां ने तोते को आशीर्वाद दिया।
बाद में दादी ने तोते के लिए बिछायन बिछाई, खटिया लगाई और उस पर बढ़िया मुलायम गादी बिछाई। फिर दादी ने कहा, "बेटे! तुम यहीं बैठो। मैं अभी शहनाई वाले को बुलाकर लाती हूं।" दादी शहनाई वाले को बुला लाई और शहनाई बजने लगी।
तोता खुश हो गया और वह अपने पंखों और चोंच से रुपए झाड़ने लगा। खननन, खननन की आवाज के साथ रुपए झड़ने लगे। ढेर लग गया। कुछ ही देर में सारे घर के अन्दर रुपए-ही-रुपए हो गए।
सबेरा हुआ। सबको पता चला कि तोता कमाई करके आया है और बहुत-सारे रुपए लायो है। पड़ोस में एक कौवी रहती थी। उसे मालूम हुआ कि तोता बड़ी कमाई करके लाया है, तो उसने अपने लड़के कौए से कहा, "बेटा! तुम भी कमाने जाओ।"
कौआ कमाने निकला। लेकिन कौआ तो आखिर कौआ ही था। उसे घूरे और घूरों की गन्दगी अच्छी लगती थी। इसलिए वह घूरे पर पहुंचा और अपने पंखों में, चोंच में और कान में तरह-तरह की गन्दी चीजें भर लीं। जब रात हुई, तो कौआ घर लौटा और तोते की तरह दरवाजे की सांकल खटखटाते हुए बोला:
मां, मां!
दरवाजा खोलो,
दरवाजा खोला,
बिछायन बिछवाओ,
खटिया लगवाओ,
शहनाई बजवाओ,
कौआ पंख झाड़ेगा।
मां बेचारी झटपट उठीं उसने दरवाजा खोला। बिछायन बिछाई खटिया लगाई और शहनाई बजवाई। जब शहनाई बजने लगी, तो कौए ने अपने पंख झाड़ने शुरु किए और सारे घर में गन्दगी-ही-गन्दगी हो गई। बदबू का कोई हिसाब नहीं रहा। कौए की मां को इतना गुस्सा आ गया कि उसने कौए को घर के बाहर निकाल दिया।

लेखक : काशीनाथ त्रिवेदी




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