मेरी मौत के बाद मौत कहां रहेंगी यह तो मालूम पड़े
यूं तो कुछ लोग सोचते कि ताज महल बनाकर रह जाते
अजूबा के पीछे कुछ पोशीदा छुपा होता है ये कौन समझे
सभी लोग मरते हैं ज़मीन पर हम चाहते हैं आसमां पर
ख्याल मेरा यह कैसा है ज़रा सोचना तरीक़े और करीने से
जन्नत सभी चाहते और हम न जन्नत न ही जहुन्नुम चाहते
फासला रहा है मेरा धरती पर बहुत लोगों से आखिर क्यूं
सबब मालूम करना तब पता चलेगा मेरा ये ख्याल कैसा है
चलो जाने दो इन बातों को _ सोचना ज़रूर जीवन है क्या
अहसास होजाए तब मालूम होगा जो किया अच्छा नहीं था
कारनामे का नतीज़ा नेगेटिव था वहां पॉजिटिव नहीं होगा
हम ज़ालिम होसकते खुदा नहीं यहां समझना था वहां मोहलत नहीं
वसी अहमद क़ादरी
वसी अहमद अंसारी