अंधेरे जो रास आने लंगेगे आदमी को
उजाले ही डराने लगेंगे आदमी को
दिल में दहकी आग जब बेवफाई की
अश्क़ ही जलाने लगेंगे आदमी को
तीर हवाओं में छोड़ रहे हैं आँखे मूंदके
खुद ही निशाने लंगेंगे आदमी को
तेरी वफाओं का हवाला सुनकर ऐसा
नये ही बहाने लगेंगे आदमी को
क्या गा रहा है दास भला कौन सुनेगा
राग ही रुलाने लंगेंगे आदमी को


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







