यूँ तो तुम अपने थे हीं नहीं
पर हम अपना कहते रहे
दुनियाँ वालों का ख़याल था
सो रफ़ाक़त करते रहे
ज़ुल्मत भरी दुनियाँ थी मेरी पर
गम के साये में भी हँसते रहे
वक़्त साथ नहीं था मेरे मगर
हम वक़्त के साथ चलते रहे
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दुनियाँ वालों का ख़याल था
सो रफ़ाक़त करते रहे
ज़ुल्मत भरी दुनियाँ थी मेरी पर
गम के साये में भी हँसते रहे
वक़्त साथ नहीं था मेरे मगर
हम वक़्त के साथ चलते रहे