हज़ारों गम लिएं युगों से चलती आई है
वो ममता में करूणा को दबा के चली हैं ।।
पीड़ा का दर्द उसने मुस्कान में छिपा रखा है
क्या..है.. व्यथा उसकी, कौन जानें भला है ।।
मां कहें मुख जब,अंतर मन भर जाता हैं
करिश्मा का अजीबों चमत्कार हों जाता है ।।
शुभ दिन है आज उसका उसे मुबारक देते है
माँ तेरे अहसास से बचपन फिर जी लेते हैं ।।
काश आज पास होते दीदार केवल तेरा करते
अश्रु की औकात क्या.. "माँ" मेरे साथ जो है ।।