चले हम नया शहर समझने चले
आज फिर एक शहर छोड़ने चले
एक सफर खत्म हुआ
नए सफर की शुरुआत करने चले
कुछ की आँखें नम थीं
कुछ की बातें अभी बाकी थीं
कुछ से दोस्ती अभी शुरू हुई थी
कुछ से नाराज़गी ख़त्म होनी बाक़ी थी
सबसे अलविदा कह चले
सबका शुक्रिया कर चले
कुछ ने मुस्कुराकर विदा किया
कुछ ने कहा मिलने तो आओगे न
हर पल यादगार बन जाता है
अगर उतार चढ़ाव को अपनाकर चलो
हर लम्हा खूबसूरत बन जाता है
अगर सबको अपना बनाकर चलो ..
वन्दना सूद