मुस्कुराते गुलाब
मेरे घर के आँगन में खिलखिलाते पाँच गुलाब 🌹एक महीने से महकते ,लहलहाते एहसास दिलाते हैं कि “फूलों की शोभा पौधों से लगे रहने से ही है “🥀
और हम मुस्कुराते फूलों को तोड़ कर उनकी ज़िन्दगी के कुछ पलों को क्षण भर का कर देते हैं फिर वही फूल भगवान के चरणों में चढ़ा कर अपनी लम्बी उम्र की कामना करते हैं 🥲
यह किसी आस्था या श्रद्धा को चोट नहीं है हमारी सोच को चोट है क्योंकि पूरी सृष्टि जिनकी है उन्हें हम केवल अपना भाव अर्पण ही सकते हैं मन से फूल चढ़ा सकते हैं हमारे ग्रन्थों में लिखा है कि मन से बड़ी कोई पूजा नहीं है ।
वन्दना सूद