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मुस्कुराते गुलाब

Jun 11, 2024 | आलेख | वन्दना सूद  |  👁 839,725

मुस्कुराते गुलाब
मेरे घर के आँगन में खिलखिलाते पाँच गुलाब 🌹एक महीने से महकते ,लहलहाते एहसास दिलाते हैं कि “फूलों की शोभा पौधों से लगे रहने से ही है “🥀
और हम मुस्कुराते फूलों को तोड़ कर उनकी ज़िन्दगी के कुछ पलों को क्षण भर का कर देते हैं फिर वही फूल भगवान के चरणों में चढ़ा कर अपनी लम्बी उम्र की कामना करते हैं 🥲
यह किसी आस्था या श्रद्धा को चोट नहीं है हमारी सोच को चोट है क्योंकि पूरी सृष्टि जिनकी है उन्हें हम केवल अपना भाव अर्पण ही सकते हैं मन से फूल चढ़ा सकते हैं हमारे ग्रन्थों में लिखा है कि मन से बड़ी कोई पूजा नहीं है ।
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Kapil Kumar said

Bilkul sahi kha mam aapne.... Bahut sundar vichar hain aapke

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir 🙏

Amit Shrivastav said

Sundar aur seekh lene laayak lekh🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बिल्कुल सही वंदना जी इसीलिए हम भी फूलों को नहीं तोड़ते हैं और किसी को तोड़ने भी नहीं देते हैं..

वन्दना सूद replied

किसी को तोड़ने भी नहीं देते 😂ये बहुत बढ़िया बात कही

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