(बाल कविता)
मिट्टी है वरदान
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मिट्टी सोना, मिट्टी चाँदी, मिट्टी है भगवान।
मिट्टी से है जीवन सारा, मिट्टी है वरदान।।
मिट्टी से ही खेल-खिलौने बनते सुंदर-सुंदर
मिट्टी के ही चूल्हे-चौके, जलते घर के अंदर
मिट्टी से ही घोड़े-हाथी, मूरत प्यारी-प्यारी
मिट्टी से ही तोता-मैना, मिट्टी से पुलवारी
मिट्टी से ही सर्वप्रथम होती सबकी पहचान ।
मिट्टी से है जीवन सारा, मिट्टी है वरदान ।।
मिट्टी में ही हल-बैलों की जोड़ी चलती दिनभर
मिट्टी पर ही जीव-जन्तुओं का जीवन है निर्भर
मिट्टी से कोठरियाँ बनतीं, मिट्टी से दीवारें
मिट्टी की रक्षा में सेना अपना तन-मन वारें
मिट्टी की खातिर दे देते सदा सिपाही जान ।
मिट्टी से है जीवन सारा, मिट्टी है वरदान।।
मिट्टी के ही घास-फूस से पेट जानवर भरते
औषधियों के पौधे मिट्टी में ही सदा पनपते
तरह-तरह के जीव-जंतु का भोजन इससे बनता
मिट्टी से ही पानी का वाटर लेबल है बढ़ता
मिट्टी का सब इसीलिए करते रहते गुणगान ।
मिट्टी से है जीवन सारा मिट्टी है वरदान।।
फूल-फलों के बीज छुपाती मिट्टी अपने भीतर
न सड़ते, न गलते, उगते बिलकुल सही समय पर
जंगल-झाड़ी, नदी-ताल सब मिट्टी पर हैं बनते
मिट्टी के कारण ही हम सब जीवित हरदम रहते
मिट्टी में ही छुपा हुआ, भूत-भविष्य का ज्ञान ।
मिट्टी से है जीवन सारा, मिट्टी है वरदान।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'