Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

एक ओस की सम्पूर्ण जीवन यात्रा – कमलकांत घिरी

"चाँद की रोशनी से दूर पड़ा ओस चमक
रहा था ,
न जाने खुद को वो क्या-क्या समझ रहा
था ,
हीरे सी चमक थी उसमे मोती सा आकर
था,
चाँद के दिए रोशनी से उसमें आ गया
अहंकार था,
चमक रहा था जगमग - जगमग जिस
समय अंधकार था,
रौशन है जग उसी की रोशनी से इसका
भ्रम उसे अपार था,
जिसकी रोशनी से वह रौशन हुआ उसे
भी रौशन करने वाला है कोई और इसका साक्ष्य पूरा संसार था,
अंधेरे के एक छोटे टुकड़े में अकेला जगमगा रहा था वो,
मैं ही मैं हूं अब तो दुनिया में बस यही गुनगुना रहा था वो,
तभी सवेरा हुआ और सूरज निकला लेकर प्रकाश अपार,
सूरज की किरणों ने किया ओस पर आकस्मिक प्रहार,
रोशनी सूरज की पड़ते ही ओस की रोशनी मुरझा सी गई,
जो रोशनी ओस में थी वह सूरज की रोशनी में समा सी गई,
अब रहा नहीं वो बूंद ओस का जिसको बड़ा
अभिमान था,
अब कौन बताए उनको कि वह केवल एक रात का मेहमान था।"

----- कमलकांत घिरी'.




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah sir kya khoob likha bahut sundar rachna

Muskan Kaushik said

Bht sundar subject hai...👏

कमलकांत घिरी said

बहुत शुक्रिया🙏

अर्पिता पांडेय said

Bahut Sundar

अमित श्रीवास्तव said

बहुत सुन्दर लिखा अति उत्तम भाव !!

Devendra Yadav said

बहुत उत्तम रचना उत्तम विश्लेषण

विपिन कुमार said

वाह लाज़वाब सुन्दर रचना

कमलकांत घिरी said

आप सभी को मेरी रचना पसंद आई, आप सभी का बहुत बहुत आभार।🙏।

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर रचना 👏👏🙌🏻🙌🏻👌👌एक एक पंक्ति तारीफ के काबिल है

कमलकांत घिरी replied

आपकी इतनी अच्छी समीक्षा के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया मैम 🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन