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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक ओस की सम्पूर्ण जीवन यात्रा – कमलकांत घिरी

"चाँद की रोशनी से दूर पड़ा ओस चमक
रहा था ,
न जाने खुद को वो क्या-क्या समझ रहा
था ,
हीरे सी चमक थी उसमे मोती सा आकर
था,
चाँद के दिए रोशनी से उसमें आ गया
अहंकार था,
चमक रहा था जगमग - जगमग जिस
समय अंधकार था,
रौशन है जग उसी की रोशनी से इसका
भ्रम उसे अपार था,
जिसकी रोशनी से वह रौशन हुआ उसे
भी रौशन करने वाला है कोई और इसका साक्ष्य पूरा संसार था,
अंधेरे के एक छोटे टुकड़े में अकेला जगमगा रहा था वो,
मैं ही मैं हूं अब तो दुनिया में बस यही गुनगुना रहा था वो,
तभी सवेरा हुआ और सूरज निकला लेकर प्रकाश अपार,
सूरज की किरणों ने किया ओस पर आकस्मिक प्रहार,
रोशनी सूरज की पड़ते ही ओस की रोशनी मुरझा सी गई,
जो रोशनी ओस में थी वह सूरज की रोशनी में समा सी गई,
अब रहा नहीं वो बूंद ओस का जिसको बड़ा
अभिमान था,
अब कौन बताए उनको कि वह केवल एक रात का मेहमान था।"

----- कमलकांत घिरी'.




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah sir kya khoob likha bahut sundar rachna

Muskan Kaushik said

Bht sundar subject hai...👏

कमलकांत घिरी said

बहुत शुक्रिया🙏

Arpita pandey said

Bahut Sundar

Amit Shrivastav said

बहुत सुन्दर लिखा अति उत्तम भाव !!

Devendra Yadav said

बहुत उत्तम रचना उत्तम विश्लेषण

विपिन कुमार said

वाह लाज़वाब सुन्दर रचना

कमलकांत घिरी said

आप सभी को मेरी रचना पसंद आई, आप सभी का बहुत बहुत आभार।🙏।

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर रचना 👏👏🙌🏻🙌🏻👌👌एक एक पंक्ति तारीफ के काबिल है

कमलकांत घिरी replied

आपकी इतनी अच्छी समीक्षा के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया मैम 🙏

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