Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

साॅरी मम्मी..साॅरी पापा !! - अंतिम अध्याय - वेदव्यास मिश्र


साॅरी मम्मी..साॅरी पापा !! - वेदव्यास मिश्र

जैसे ही पहुँचे मम्मी-पापा अपनी बेटी के पते पर ..फफक-फफक कर रोने लगे वो, अपनी बिटिया को इस हाल में देखकर !!

इन्सपेक्टर ने ढांढस बँधाते हुए उन्हें बहुत ही मुश्किल से अलग किया उनकी बेटी से !

एक कमरे में बैठाया गया नेहा के मम्मी-पापा को और नेहा का लिखा सुसाइड लेटर उन्हें दिया गया।

जिसमें लिखा था-
साॅरी मम्मी..सारी पापा !!

मैं वो नहीं बन पाई जो मैं बनना चाह रही थी ।
सच कहूँ तो मुझे डाॅक्टर बनने में कोई रूचि है भी नहीं ।

पता नहीं..मैं पिछले दो दिनों से बहुत ज्यादा डिप्रेस में क्यों हूँ और कोई फैसला लेना भी मुश्किल लग रहा है !

कोचिंग वाले तो भारी-भरकम जमा मनी वापस करने से रहे !
रूम रेन्ट, मेस चार्ज सब मिलाकर बहुत कुछ डूब चुका है यहाँ !

पता नहीं पापा..यहाँ के माहौल में हमेशा एक ऊब सी होती है..एक मेन्टली प्रेसर रहता है यहाँ !

सिर्फ मोटिवेशन है यहाँ पर और कुछ भी नहीं !

पता नहीं ऐसा क्यों फील हो रहा है कि स्टूडेंट को टाॅपर आने की एक बहुत ही भयानक कीमत चुकानी पड़ती है यहाँ !

क्लास में जब भी मैं किसी प्राॅब्लम पे डिस्कस करना चाहती हूँ तो लोग मजाक उड़ाते हैं मेरा !

लोग कहते हैं..चीटर टाॅपर !!
कहने का मतलब ..टाॅपर कोई सवाल ही नहीं कर सकता यहाँ !

कुल मिलाकर..मेरा मन पूरी तरह से उकता गया है यहाँ से !!

मैं तो यही कहूँगी..
किसी टाॅपर को तो फिलहाल बिलकुल भी नहीं आना चाहिए यहाँ पापा !

यहाँ, मैं कोई सवाल ही नहीं कर सकती क्योंकि मैं एक टाॅपर हूँ..यानि मुझे सब कुछ आता है..तभी तो टाॅपर आई हूँ ।

किसी से मैं अपनी प्राॅब्लम शेयर नहीं कर सकती क्योंकि मैं एक टाॅपर हूँ !

सरकार को तो एक सर्वे करवाना चाहिए..पिछले पाँच सालों में जितने भी टाॅपर हैं..वे आखिर आज कर क्या रहे हैं !

मम्मी-पापा भी कुछ और करने नहीं देंगे क्योंकि आप एक टाॅपर हैं !

ऐसा लगता है जैसे मैंने टाॅप करके कोई गुनाह कर दिया हो !

अगर मैं अपने शहर भी आ जाती तो लोग ताना मारते कि कोटा की भगोड़ी आ गई है आखिर यहीं !
जब यही करना था तो आखिर करने क्या गई थी वहाँ !
मेरे प्रॉब्लम को किसी बेमतलब के अफेयर से कनेक्ट करते कुछ लोग ।

मैं देख रही हूँ मम्मी-पापा !
यहाँ सभी लोगों का भी लगभग-लगभग यही हाल है !

यहाँ आना वन वे हो गया है..आप आ तो सकते हैं लेकिन वापस नहीं जा सकते !

सच कहूँ तो मेरा इंट्रेस्ट म्यूज़िक में था मगर फिर वही बात..समाज सिर्फ पैसे से तौलता है किसी की अहमियत को !

इनका बस चलता तो ये गौतम बुद्ध को भी समझा-बुझाकर फिर से वापस भेज देते उनके घर !

मानती हूँ, दुनिया के हिसाब से मेरा ये क़दम कायराना है..मगर घुटकर जीना भी तो मुश्किल है !

मैं डरने लगी हूँ दरअसल मम्मी-पापा ..इतना करके भी अगर एकाध नम्बर से चूक गई तो..! कास्टिज्म का लफड़ा तो आप जानते ही हैं !

फिर तो मेरे पास अन्तिम रास्ता यही है जो आज अपना रही हूँ मैं !
यहाँ आकर मैं फँस गई मम्मी-पापा !

काश मैं यहाँ आई ही नहीं होती !
हमारा समाज कई घटनाओं के लिए अप्रत्याशित रूप से जिम्मेदार है ...जिसकी सजा उसे मिलनी ही चाहिए !

अब यहाँ से निकलने का एकमात्र उपाय यही है जिसे आज मैं अपना रही हूँ !

प्लीज, मैं अच्छा कर रही हूँ या गलत..मुझे कुछ भी पता नहीं मगर
यहाँ आने से रोकिये लोगों को !

मेरे जाने का मैसेज भी यही है कि यहाँ स्टूडेंट न आयें ! हो सके तो अपनी तैयारी अपने घर में..अपने शहर में ही रहकर करें !!

यहाँ का सबसे बड़ा हत्यारा है डिप्रेशन, ज्यादा उम्मीदें, लोग क्या कहेंगे..ये मँहगे-मँहगे कोचिंग संस्थान और बड़े-बड़े अनावश्यक आसमानी मोटिवेशन !!

इन सभी कोचिंग संस्थानों में तो सरकार को कोई क़ानून बनाकर ताला ही जड़ देना चाहिए ताकि लोग यहाँ आयें ही नहीं और मेरे जैसा फैसला लेने पर मज़बूर ही न हों !

यहाँ सिर्फ घुटन है घुटन ..और कुछ भी नहीं ।

आपकी उम्मीदों पर मैं खरी नहीं उतर पाई ! इसके लिए हो सके तो मुझे क्षमा कर दीजियेगा ताकि मैं अन्जाने सफ़र में निकलूँ तो रत्ती भर भी डर ना लगे !

मैं जहाँ से आई हूँ..वहीं जा रही हूँ !!

साॅरी मम्मी..साॅरी पापा !!

लेखक : वेदव्यास मिश्र


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

अत्यंत भाव भिवोर कर देने वाली कृति - वास्तव में समाज में व्याप्त भेड़चाल को एक अच्छे तरीके से संजोया है आपने दुःखद है लेकिन सच है कि आजकल इस भेड़चाल एवं मोटिवेशनल लूटेरों के चक्कर में आकर माता पिता उम्र के इस पड़ाव में बच्चों से ज्यादा अहमियत - समाज को देदेते हैं - वास्तव में उन्हें इस कहानी के माता पिता की तरह सोचना चाहिए एवं जितना होसके इन लूटेरों से दूर रखना चाहिए

Nidhi Verma said

goose bumping ending of the story no one tries to dare to overcome and change this truth parents should be kind and promising the best to their ward in such descisions

फ़िज़ा said

आपने बहुत सुंदर लिखा लेकिन कहानी के अंत ने रुला दिया

वेदव्यास मिश्र replied

जी हाँ फ़िज़ा जी, मैं भी कहानी का अंत दुखद नहीं करना चाह रहा था !! मगर हमें हैप्प इंड की ऐसी लत लग गई है कि हम सम्वेदनाशून्य होते जा रहे हैं !! सचमुच में तो ये घटनायें घट ही रही हैं..इसलिए कहानी में भी यह सत्यता नज़र आनी चाहिए..यह सोचकर ही मैंने इस कहानी का दुखद अंत किया !! नमस्कार !!

वेदव्यास मिश्र said

Nidhi verma जी, सचमुच ये कहानी लिखते समय मेरे भी हाथ-पाँव फूल गये थे !! मैं फँस गया था ending का क्या करूँ !! अगर सुसाइड करती है लड़की तो मैसेज क्या जायेगा..परिस्थितियों से हारकर सुसाइड ही अन्तिम विकल्प है ?? नहीं, इस कहानी का एक बहुत बड़ा उद्देश्य है की नेहा जैसी लड़की को ऐसी जगह भेजने से पहले हजार बार सोचें अन्यथा ज्यादा मोटिवेशन भी सरदर्द ही है !! नमस्कार 🙏🙏

वन्दना सूद said

Really touching

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद जी, आपकी सारगर्भित एवं संदर्भित प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार एवं नमस्कार !! 🙏💝💝🙏

काल्पनिक रचनायें श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन