उजाले ले गए
टूटते रिश्तों को इस तरह भी बचाया है।
कभी अपनों को कभी गैरों को मनाया है,
यकीन था कि वे भीतर से बद्दुआ देंगे,
उनके पैरों में हमने फिर भी सर झुकाया है।
उजाले ले गए सारे अंधेरा छोड़ गए,
रोशनी करने हमने अपना दिल जलाया है,
अपने हिस्से की बारिशें भी उन्हें दे दीं थीं,
उनके हिस्से की बिजलियों ने कहर ढ़ाया है।
चांद सूरज हमारे ले गए चुराकर वो,
उनके टूटे हुए तारों से घर सजाया है।
गलतियां उनकी थीं सारे गुनाह उनके थे,
फिर भी मन मार के उनको गले लगाया हैं।
वे बार बार गिरे हमने उठाया उनको,
उन्होंने मार के ठोकर हमें गिराया है।
न चाहते हुए भी नाते निभाये हमने,
उनकी दुर्भावना को भी गले लगाया है।
गीतकार- अनिल भारद्वाज,एडवोकेट,उच्च न्यायालय, ग्वालियर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




