माज़ी की सालाना फिक्र ए इकबाल क्या करना हमें
हम सब रोज़ अपनी मुसीबतों में में घिरा है _ वसी
कोई अपने दौर में चमकें हमें अपनी किरदार चमकना है
शायरी तो करते हैं लोग मगर हकीकी शायर न के बराबर है
ग़ालिब_ इक़बाल जैसा शायर वही बन सकते मगर कौन
जिसका न मुफाद न लालच होगा उसपर साया खुदा होगा
इस दौर में रदीफ क़ाफिया तज़कीर तानीश में उझाया जाता है
इस युग में पी एच डी वाले शायर समझते है जो कुदरती नहीं
नक़ल मिजाज़ नही मेरे अम्ल में दिखता वही लिखता है वसी
छोटी बड़ी सीन में उलझाने वाले सच्चा शायर नहीं होता है
हम वहां उलझते जहां सुलझाने वाले नहीं दिखते ये सिफत है
हमारे शायरी का तालमेल किसी से नहीं है ऐसा मेरी शायरी है
वसी अहमद क़ादरी
मुफक्किर ए कायनात
मुफक्किर ए मखलुकात

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




