पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
अपने जज़्बातों को यूं
बता नहीं सकती किसी को खुलेआम,
इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
जिस तरह मोहब्बत है मुझे
कई कवियों की कविताओं से,
शायद उसी तरह कहीं ना कहीं
किसी ना किसी को मोहब्बत हो जाए
मेरी भी कविता से,
इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
कि सुनाती हूॅं जिस तरह पढ़कर
सभी कवियों की कविताओं को मैं सभी को, उसी तरह सुनाए कोई मेरी भी कविता सभी को, इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
जुड़े हुए हो शायद मेरे जज़्बात
किसी की दास्तां - ए - ज़िंदगी से, इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
कि जिस तरह मेरे कई पसंदीदा कवि हैं ,
उसी तरह शायद मुझे भी कोई
अपनी पसंदीदा कवयित्री बनाए , इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?(2)
कहती हूॅं मैं,
कि कविताओं से बहुत मोहब्बत है मुझे, इसीलिए कविता लिखती हूॅं मैं।
पूछते हैं मुझसे कई लोग कि तुम
कविता क्यों लिखती हो ?
कहती हूं मैं,
कि जिस तरह मेरे दिल पर राज करते हैं कई कवि,
उसी तरह मैं भी किसी के दिल पर राज करूं,
इसीलिए कविता लिखती थी मैं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐