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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हम दिल दे बैठे

कापीराइट गजल

अब तुमको क्या मालूम कि हम दिल दे बैठे
ये दिल है अपना बेचैन कि हम दिल दे बैठे

लाल गुलाबी गालों पे ये रंग हया का छाया
सब हो गए रे परेशान कि हम दिल दे बैठे

जब नीली नीली आंखों में अक्स मेरा छा जाए
तुम मत बनना अन्जान
कि हम दिल दे बैठे

जब पतली कमरिया तेरी राहों में बल खाए
हम हो गए रे कुर्बान कि हम दिल दे बैठे

कर गई दिल को घायल ये चाल नशीली तेरी
इस दिल पे कर एहसान कि हम दिल दे बैठे

यह तेरे माथे की बिंदिया ले गई नींद हमारी
खो गया दिल का चैन कि हम दिल दे बैठे

कातिल नजर तुम्हारी खेल कर गई दिल से
दिल हो गया रे मेहमान कि हम दिल दे बैठे

जब इन हाथों से छूआ बोले तेरे ये कंगना
तू हाथ मेरा अब थाम कि हम दिल दे बैठे

गली-गली में चर्चा है तेरे प्यार की यादव
हम हो गए रे बदनाम कि हम दिल दे बैठे

- लेखराम यादव
... मौलिक रचना ...


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Supriya sahu said

बहुत खूब सर जी👏👌आपको सादर प्रणाम🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय सुप्रिया जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏

वन्दना सूद said

लाजवाब रचना sir 👏👏👌👌🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

सुभाष कुमार यादव said

बेहतरीन ग़ज़ल यादव सर जी।👌👌🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सुभाष जी, आपको सादर नमस्कार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Adarneey Yadav Sir Ji,,, Kya kahne hain ...kya jandaar Ghazal prastut kiye hain...'Dil De Bethe'.. Saadar Pranam Suprabhaat 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, आपको सादर नमस्कार

श्रेयसी said

वाह क्या गज़ब की रचना है।मजा आ गया पढ़ कर। सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

मेरी प्यारी बहना आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

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