कापीराइट गजल
अब तुमको क्या मालूम कि हम दिल दे बैठे
ये दिल है अपना बेचैन कि हम दिल दे बैठे
लाल गुलाबी गालों पे ये रंग हया का छाया
सब हो गए रे परेशान कि हम दिल दे बैठे
जब नीली नीली आंखों में अक्स मेरा छा जाए
तुम मत बनना अन्जान
कि हम दिल दे बैठे
जब पतली कमरिया तेरी राहों में बल खाए
हम हो गए रे कुर्बान कि हम दिल दे बैठे
कर गई दिल को घायल ये चाल नशीली तेरी
इस दिल पे कर एहसान कि हम दिल दे बैठे
यह तेरे माथे की बिंदिया ले गई नींद हमारी
खो गया दिल का चैन कि हम दिल दे बैठे
कातिल नजर तुम्हारी खेल कर गई दिल से
दिल हो गया रे मेहमान कि हम दिल दे बैठे
जब इन हाथों से छूआ बोले तेरे ये कंगना
तू हाथ मेरा अब थाम कि हम दिल दे बैठे
गली-गली में चर्चा है तेरे प्यार की यादव
हम हो गए रे बदनाम कि हम दिल दे बैठे
- लेखराम यादव
... मौलिक रचना ...
सर्वाधिकार अधीन है