है काफिर जो तेरे मुल्क के बासिन्दे है,
है जमीं पाक कहाँ तेरी तेरे इरादे गंदे हैं
है कौन तेरे मुल्क में मुसलमान तू बता
शैतानो काफिरों के ईमान कितने गंदे है
थे जो शैतान चले गए थे तेरे मुल्क की जानिब,
है मुसलमान जो मेरे वतन में खुदा के बन्दे है
ये काफिर ए मुल्क लाख कोशिश कर तोड़ने की
दोस्ती ईमान और इंसानियत हमारे धंधे है
क़त्ल ओ ग़ारत, शैतानो की परवरिश, बारूद
की खातिर मांगना वतन दर वतन भीख तेरे धंधे है
आज जो मुल्क तेरे दोस्त है ग़लतफ़हमी में जीतें है
कैसे कहें इन अमीरों से असलियत तेरी ये अंधें है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




