मुझे क्या पता बदरियाँ क्यों भटकती।
सफ़ेदी ओढ़े हुए शायद विलाप करती।।
दिल ब्रह्माण्ड रूह को जानने की वज़ह।
अपना खो गया उसी की तलाश करती।।
जुदाई होती होगी अन्जाम-ए-मोहब्बत।
उसी अन्जाम का फलसफा पता करती।।
मुझे तन्हा क्यों छोड़ा है उसने 'उपदेश'।
उसके सिवा कौन बरसकर गिला करती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद