एक टांग वाले तेरी खैर नहीं, बंदरों से कोई बैर नहीं।
यह कहावत सुनकर, मन सोच में पड़ गया।इसमें छिपा है क्या रहस्य, समझ में नहीं आया।
एक टांग वाले से, क्या डर लगता है?
बंदरों से क्या बैर, मन में पैदा होता है?
शायद, यह कहावत है, जीवन का सच बताती है।
कुछ बातें हैं, जो हमेशा रहती हैं।
एक टांग वाला, कमजोर होता है।
बंदरों से डरना, स्वाभाविक बात है।
लेकिन, क्या हमेशा कमजोर ही हारता है? शायद, यह बात भी गलत है।
बंदर चंचल होते हैं, शरारती भी होते हैं।
लेकिन, उनमें भी एक मासूमियत होती है।
हम इंसानों को, उनसे क्या सीखना है?
यह सोचने का विषय है, हर किसी के लिए।
कहावतों में छिपे होते हैं, गहरे अर्थ।
जिनको समझना, होता है बहुत जरूरी।
शायद, यह कहावत हमें बताती है।
जीवन में, हमें सावधान रहना चाहिए।
कमजोरों का फायदा उठाने वाले, हमेशा ही मिलते हैं, रास्ते में।
उनसे सावधान रहना चाहिए, वरना, पछताना पड़ सकता है, फिर।
बंदरों की तरह, चंचल मत बनो।
अपने लक्ष्य पर, ध्यान केंद्रित रखो।
कमजोरों की मदद करो, दूसरों का बुरा मत चाहो।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




