नजर आने लगी ख्वाब में शरारत होली की।
दिलरुबा आगे आगे उसके पीछे टोली की।।
पलके हिलाकर जब किया इजहार रंगो का।
नशीली तबियत लग रही इस बार चमेली की।।
शरारत करने का मौका जाने न देगी आज वो।
पिचकारी की धार से जी भर कर रंगरेली की।।
गले लगाने की बड़ी तमन्ना रही उसने पूरी की।
रंग चेहरे पर सिर पर मलते जहर ठिठोली की।।
ख़लिश दिल की मिटाई बढ़ाया प्यार होली में।
जैसे ही गोद में बैठी 'उपदेश' चेहरे पर रंगोली की।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




