"गीता का सार"
दुनिया की हर समस्या का हल,
जीवन के कर्मों का फल है गीता।
कृष्ण का साक्षात स्वरूप और वेदों का सार है गीता।
ज्ञान का भंडार,धर्म, अर्थ
काम, मोक्ष का सार है गीता,
मया, मोह, लोभ, क्रोध एवं
मोक्ष का आधार है गीता ।
सब ग्रंथों का सार एवं वेद
पुराणों का विस्तार है गीता,
भक्ति से मुक्ति योग ज्ञान वैराग्य, सबका द्बार है गीता।
कृष्ण ने कहा गीता में
मैं सबमें हूं, सब मुझमें है
सूरज चांद सितारे, मैं हूं
ये नदियां पहाड़ सब मैं हूं।
मैं पहले भी था, बाद में भी रहूंगा,
धर्म वो है जो धारण करें
कर्म वो है जो किया जाये,
कर्म फल ही जीवन का सार
गीता पढ़ने से होता जीव का उद्धार ।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
अरेराज, ममरखा,..पूर्वी चम्पारण (बिहार)