भ्रष्टाचार का धुआं
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात
भ्रष्टाचार का धुंआ उठता है।
काला घना।
भ्रष्टाचार की अग्नि है ये, विख्यात।
जिसमें जलती है, सत्यता की ज्योति।
और बचती है।
केवल न्याय के घर में अंधेरी रात।
लोभ की आग में,
जलते हैं लोग।
रिश्वत के लिए, बेचता है।
एक भ्रष्टाचारी,
न्याय को सरेबाजार।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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