दो पल का कारवाँ
ख़त्म हो गया सिलसिला
जाने कहां गया आत्मा
कौन जान पाया वो चला कहां
दो पल का कारवाँ
ख़त्म हो गया सिलसिला
अश्क बहे, मंज़र सहे नज़ारा
रोके कैसे ? जो जा रहा अपना
चंद पल का जीवन खिलौना यहां
दो पल का कारवाँ
ख़त्म हो गया सिलसिला
ग़ुरूर कैसा, क्यों घमंड भरा
सब कुछ रबने सब को दिया
चाहें वो, तब ले जाता भला
दो पल का कारवाँ
ख़त्म हो गया सिलसिला
अहम् कैसा, पैदा क्या है किया?
पर भूले, भाग्य और कर्म से था पाया
अंत समय भी क्यों करें 'मेरा' 'मेरा'
दो पल का कारवाँ
ख़त्म हो गया सिलसिला.........!!!!!