लेखक एक परीक्षार्थी भी हैं शायद इसलिए ये उन सभी परिक्षार्थियों के दर्द व भावनाओं को बेहतर समझ सकते हैं, और इसी दर्द को अपने कविता में इंगित किया है।
लेखक बलिया जिला के बैरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत प्रसिद्ध गांव चकिया के निवासी हैं, और कविता लेखनी में इनका गांव सर्वत्र आगे रहा हैं, ये उस गांव से हैं जिसने डॉ केदार नाथ सिंह जैसे बड़े सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार को जन्म दिया और ऐसे ही कई दिग्गज इस गांव से जन्मे हैं।
ए ईश्वर दे कुछ तरकीब ऐसा, जो परिक्षा मैं पास कर लूं।
न वक्त बचा हैं अब इतना कि इसका सिलेबस पूरा कर लूं,
न तरकीब पता हैं कोई ऐसा जो परीक्षा मैं पास कर लूं,
न किताबे पढ़ने का जी करता नाहीं इसको छोड़ने का,
न याद रहा अब वो सब भी, जो अब तक हमने पढ़ा था,
ए ईश्वर दे कुछ कर ऐसा, जो परिक्षा मैं पास कर लूं।
एक तो रहता दबाव मां बापू के देखें सपनों का,
दूजा तनाव रहता हैं पड़ोसियों के ताने सुनने का,
तिजा तो पहले से ही होता बेरोजगारी के धब्बे का,
इन दबावों के कारण पूरा दिमाग हैंग हों जाता हैं,
ए ईश्वर कल देना शक्ति इतना,जो परिक्षा मैं पास कर लूं।
न जाने कल क्या होगा, जब परिक्षा हाल में बैठुंगा,
पता नहीं परिक्षा कक्ष में भी, सब कुछ याद रख पाऊंगा,
पेपर मिलने पर पता नहीं कि कितने प्रश्न हल कर पाऊंगा,
जल्दी करने के चक्कर में, ओएमआर गलत भर आऊंगा,
ए ईश्वर दे कुछ कर ऐसा, जो परिक्षा मैं पास करलूं।
पता नहीं ऐसा क्यों होता हैं, इतने मेहनत के बाद भी,
आंखे लाल हो जाती हैं, पिछले कई रातों को जागने से,
ऐसा लगता है कि ये सब भी होता हैं केवल मेरे साथ ही,
पढ़ते-पढ़ते थक जाता हूं, पर याद मुझे कुछ रहता ही नहीं,
ए ईश्वर करना कल कुछ ऐसा, जो परिक्षा मैं पास करलूं।
अब ज्यादा समय हों गए पढ़ते पर समझ कुछ आता नहीं,
सोचता हूं पूजा करके जाऊं कल शायद कुछ भला हों जाए,
ईश्वर के चरणों में मस्तक टेक, माथे पर तिलक लगाके जाऊं,
क्या पता शायद कल सारे मेहनत का कुछ असर दिख जाए,
ए ईश्वर करना कल कुछ ऐसा, जो परिक्षा मैं पास करलूं।
- अभिषेक मिश्रा (बलिया)