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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दिल को जलाया हमने

कापीराइट गजल

इक राज नया अंधेरों से यूं छुपाया हमने
चिरागों की जगह दिल को जलाया हमने

बातों को बदलने का हुनर न आया हमको
सादगी से हर बात को यूं छुपाया हमने

बदनामियों का इल्म तो आता है जमाने को
हर इल्म से फिर खुदको यूं बचाया हमने

कांटे भी होते हैं जिन फूलों के साथ-साथ
उन्हीं कांटों से घर अपना सजाया हमने

लुटाए हैं यहां हमने अपने प्यार के दरिया
जमाने की नफरतों को गले लगाया हमने

उजालों में नहीं बसती है ये प्यार की दुनियां
अब अंधेरों से इस दिल को सजाया हमने

जल उठते हैं सब चिराग, रौशनी के यहां
आशियां ये जिस जगह पर बनाया हमने

यह जमाना हम से है, हम जमाने से नहीं
खुद एहसास यह फिर से जगाया हमने

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाकई बहुत ये ज़माना हम ही से है... सही एहसास जगाया आपने.. बहुत ही खूबसूरत गज़ल

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। ऐसे एहसास जगाना भी हमारा ही काम हैऔर आगे भी ऐसा करते ही रहेंगे। आपका धन्यवाद सहित स्वागत है।

नेत्र प्रसाद गौतम said

मार्मिक और सांदर्विक गजल नमस्कार ।

Lekhram Yadav replied

आदरणीय नेत्र प्रसाद गौतम जी आपका स्वागत है ।

Komal Raju said

Bahut sundar gajal...

Lekhram Yadav replied

कोमल राजू जी नमस्कार। आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे अभिभूत कर दिया है आपको मेरा हार्दिक प्रणाम।

Shyam Kumar said

Bdiya

Lekhram Yadav replied

आदरणीय श्याम कुमार जी धन्यवाद सहित आपका स्वागत और धन्यवाद।

Arpita pandey said

जल उठते हैं सब चिराग, रौशनी के यहां बहुत सुंदर क्या कहने

Lekhram Yadav replied

Good morning with thanks respected Madam Arpita Pandey ji

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