भोर का सूरज सब देखें यहां,
पर मैं दिन की दुपहरी देखूं।
मंदिर में सब ईश्वर ढूंढें,
और मैं एक भूखी गिलहरी देखूं।
लोग आनंद का अमृत खोजें,
और मैं आसुओं का ज़हर ही देखूं।
दुःख मारे तुम्हें दस पत्थर,
दुखों का पहाड़ मैं हर पहर ही देखूं।
तुम शहर के शहरी देखो,
और मैं पूरा शहर ही देखूं।
तुम शुद्ध सामाजिक चरित्रवान,
और मैं समाज का कहर ही देखूं।
फिर मैं जिसे अपना गीत सुनाऊं,
तुम उसे नितान्त बहरी देखो।
मनोरम जीवन यात्रा खत्म कर,
मृत्यु की खाई ज़रा गहरी देखो।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




