🌹 वराह अवतार
कथा के अनुसार, एक समय जब भगवान
अपने धाम में थे तभी उनके द्वार पर महर्षि दुर्वासा जी आये पर प्रभु के दो द्वार पाल जिनका नाम जय और विजय था महर्षि को श्री हरि से मिलने नहीं दिया तब दुर्वासा ऋषि ने उन्हें धरती पर राक्षस योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया जिससे पतित हो जय और विजय ने
हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष नामक असुर के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर हाहाकार मचा दिया उस समय, हिरण्यक्ष नामक एक शक्तिशाली असुर ने पृथ्वी को जल में डूबो दिया
भगवान विष्णु ने वराह अवतार में एक विशाल सूअर का रूप धारण किया और हिरण्यक्ष को मारकर पृथ्वी को जल से बाहर निकाला।
इसके बाद, भगवान विष्णु ने पृथ्वी को अपने दांतों पर उठाकर जल से बाहर निकाला और उसे स्थिर किया। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने वराह अवतार में पृथ्वी की रक्षा की और उसे जल से बाहर निकाला।
🌹नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार की कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक शक्तिशाली असुर ने भगवान विष्णु को मारने की प्रतिज्ञा की थी। उसने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि वह न तो दिन में मारा जाएगा, न रात में, न घर में, न बाहर, न मानव द्वारा, न पशु द्वारा
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था लेकिन हिरण्यकश्यप को यह बात नापसंद थी उसने प्रहलाद मारने के लिए अनेक अत्याचार किए तब अपने भक्त की
पुकार पर
भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया, जो आधा मानव और आधा सिंह था। उन्होंने हिरण्यकश्यप को उसके घर के दरवाजे पर, जो घर के अंदर और बाहर दोनों नहीं था, संध्या के समय, जब न दिन था और न रात, मार डाला।
🌹वामन अवतार
वामन अवतार की कथा के अनुसार, बलि नामक एक शक्तिशाली असुर ने देवताओं को हराकर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया, जो एक बौने ब्राह्मण का रूप था।
वामन ने बलि से तीन पग भूमि मांगी। बलि ने इसकी अनुमति दे दी, लेकिन जब वामन ने अपना आकार बढ़ाया, तो उन्होंने पहले पग में आकाश, दूसरे पग में पृथ्वी, और तीसरे पग में बलि के सिर को रख दिया। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में बलि को हराकर देवताओं को उनके अधिकार वापस दिलाए।
✍️#अर्पिता पांडेय