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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

ना रक्खा करो हर बातें - समझाइश गीत - वेदव्यास मिश्र

ना रक्खा करो हर बातें,
दिल में छुपाकर तुम !!
कह भी दिया करो कभी,
खुद को ना सताओ तुम !!

कह गये सयाने राज़ ये,
कर जाओ ये भी ख़ता !!
कहने से बात किसी को,
मन हल्का है हो जाता !!
ना बाँधके हर बातें रखो,
वर्ना ना हो जाओ गुम !!

कहने से क़यामत भी आये,
तो मंज़ूर कर लेना !!
मरने से लाख गुना अच्छा,
बात कहके जी लेना !!
तनिक ना घबराना कभी,
हर हाल बताना तुम !!


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Bhushan Saahu said

बहुत सुंदर लिखा आपने मगर kahne का मजा भी तब है जब कोई सुनने वाला हो

वेदव्यास मिश्र said

Bhushan Saahu जी, ये भी खूब कही आपने 👌👌 अगर कोई भी न मिले तो आईना काफी है मेरे दोस्त बात करने के लिए काफी है !! क्योंकि हम खुद को जितना जानते हैं या समझते हैं उतना शायद ही किसी और को जान सकते हैं !! अगर ये भी सम्भव न हो तो मुझे बेझिझक कभी भी बता सकते हैं आप अपनी समस्या 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बिल्कुल सही

वेदव्यास मिश्र said

रीना जी, जो भी हो, बातें बता ही देनी चाहिए अगर जान पे न बन आये तो !! अगर जान पे भी बन आये तो खुलासा किसि न किसी के पास तो कर ही देनी चाहिए !! 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sundar rachna Acharya Ji 🙏🙏 isko to apnana padega, mere case m aisa hi kuch hai, vese jab se likhantu join Kiya hai tab se dil halka rahne laga hai itne sare rachnakar or unki rachnayein, aur unme shresthtam aap to baat to avashya hi manni padegi...pranam 🙏🙏

फ़िज़ा said

आपने बिल्कुल सही कहा मैं अपनी सारी बातें अपनी मां और सासू मां को बता देती हुं तब vah समझा देती हैं और मन हल्का हो जाता है

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, मैंने महसूस किया है कि कह देना चाहिए दिल की बातें हो या मन की !! एक सुकून तो जरूर रहता है..इस बात की खलीस तो कम से कम रहेगी ही नहीं कि मैंने कहा नहीं !! बल्कि कहने से एक फायदा ये जरूर हो सकता है कि सामने वाला भी हमारी बातों के साथ इंगित,या कनेक्ट हो जाये कभी और रियलाइज करने लगे कि हमने जो कहा..गलत या सही..कहे तो कम से कम !! मनुष्य हैं..कोई देवता तो हैं नहीं..कुछ गलतियाँ तो करनी भी चाहिए !! बाकी तो आप समझ ही रहे होंगे !!😍😍 स्नेहाशीष !!

वेदव्यास मिश्र said

फ़िज़ा जी, कहने से कुछ फायदा हो या न हो मगर घाटा कुछ भी नहीं !! सयाने कह भी गये हैं ..बात कह देने से मन हल्का हो जाता है !! हाँ,ये जरूर ध्यान रखना है कि वो आपके माँ या सासू माँ जैसी ही होनी चाहिए !! अगर हम अनर्गल व्यक्ति से शेयर किये तो मन भारी भी हो सकता है..इसका भी हमें ध्यान जरूर रखना चाहिए !! धन्यवाद मैम, इस पोस्ट पर आपकी उपस्थिति के लिए 🙏🙏

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