पूर्णमासी की रात थी ,<br> पर छाया था अंधेरा... <br> उम्मीद है हमें भी ,<br> कि होगा नया सवेरा । <br> हालात नाज़ुक हैं अभी , <br> पर टूटी नहीं उम्मीद हमारी ।<br> निराश रजनी को लांघकर ,<br> होगा नया उजियारा ।।<br></b>