(बाल कविता)
बात हवा से कर घोड़ा
________________
हिन हिन हिन ना कर घोड़ा ।
टिक टिक टिक टिक चल घोड़ा ।।
सन सन सन सन सन सन सन
बात हवा से कर घोड़ा ।।
चना - चबैना भी खा ले
ताकतवर अब बन घोड़ा ।
हिम्मत और धैर्य रख कर
सही राह पर चल घोड़ा ।
लक्ष्य एक निर्धारित कर
लगातार फ़िर बढ़ घोड़ा ।
सैर करा दे दूर तलक
नहीं किसी से डर घोड़ा ।
कभी-कभी सपनों में आ
आसमान में उड़ घोड़ा ।
दाएँ - बाएँ , देख - समझ
पार सड़क को कर घोड़ा ।
रुकना-थकना नहीं कभी
सबसे हरदम कह घोड़ा ।
सर्दी गर्मी बारिश में
मेरे घर में रह घोड़ा ।
________
~राम नरेश 'उज्ज्वल'