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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैजिक कार

(बाल कविता)


मैजिक कार
__________

पापा लाए मैजिक कार ।
पूजा कर पहनाया हार ।।

जब मैं बैठा अंदर घुस के।
बटन लगे थे कई कलर के।।

नीला बटन दबाया जैसे ।
राज महल झट आया वैसे ।।

राजसिंहासन पर मैं बैठा ।
थोड़ा तिरछा ऐंठा ऐंठा ।।

लगा हुआ पूरा दरबार ।
सपनों का सुंदर संसार ।।

काला बटन दबाया जैसे।
अंधकार सा छाया वैसे ।।

ज़रा देर में रात हो गई ।
तारों की बरसात हो गई ।।

बटन दबाया जैसे पीला ।
मौसम लगने लगा सजीला।

तभी अश्वरथ आया अंदर ।
बने सारथी मामा बंदर ।।

रथ पर बैठी राज कुमारी ।
बोली आओ करो सवारी ।।

मैं भी बैठा उसके पास ।
उड़ कर रथ पहुंचा आकाश ।।

नील गगन पर बच्चे प्यारे ।
नन्हें मुन्ने थे सब तारे ।।

बहुत देर तक खेला खेल ।
तभी आ गई छुक छुक रेल।।

बैठ गया फ़िर उसके अंदर ।
रेल चलाने लगा चुकंदर ।।


सीटें बोल रही थीं सारी ।
आओ मेरी करो सवारी ।।


सूरज चांद सितारे बैठे ।
देवलोक से सारे बैठे ।।


उतर गए फिर सब धरती पर ।
मैं भी नीचे गया उतर कर ।।


बटन दबाया जैसे लाल ।
बदल गया सब कुछ तत्काल ।।


लगी बोलने फौरन कार ।
पंख लग गए उसमें चार ।।


बटन दबाया तभी गुलाबी ।
अपने आप लगी तब चावी ।।


कार लगी फिर फौरन उड़ने ।
लगा बहुत मन मेरा डरने ।।


फर फर फर फर चलती कार ।
हर हर हर हर करती कार ।।


कार भागती रही निरंतर ।
गई समंदर के भी अंदर ।।


शीघ्र निकल कर बाहर आई ।
चमकीली तब बटन दबाई ।।


बटन दबाते हुआ धमाका ।
और कांपने लगा इलाका ।।


मैं भी नीचे गिरा धड़ाम ।
मुंह से निकल पड़ा हे राम ।।


बिस्तर से गिरते मैं जागा ।
मम्मी-मम्मी करते भागा ।।
_
~राम नरेश  'उज्ज्वल'      
                             मुंशी खेड़ा,
                   लखनऊ-226012
                   मो: 07071793707
ईमेल :    ujjwal226009@gmail.com




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! बचपन की कल्पनाओं को इतने मज़ेदार अंदाज़ में बुन दिया आपने, पढ़ते-पढ़ते जैसे खुद भी उस मैजिक कार में सवार हो गया! 😍🚗✨

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