है आदमी कुछ दिन का मेहमान और दुनिया में
मिटाने को आमादा है अपना वज़ूद दुनिया में
खा गया हर चीज़ को, जो थी इस दुनिया में लाज़मी
सिवाय आदमी के और कौन है इस दुनिया में
शब्द बहुत कम है , और है इतना कुछ दुनिया में
कितनी हसीन होगी, न होगा जो आदमी दुनिया में