राम नरेश उज्ज्वल द्वारा रचित बाल कविता " मिले नया उपहार " त्रैमासिक पत्रिका "अभिनव बालमन " के जुलाई- सितम्बर 2024 अंक में प्रकाशित हो चुकी है, पत्रिका के संपादक श्री निश्चल जी हैं। कविता आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है।
(बाल कविता)
मिले नया उपहार
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आग उगलते सूरज दादा
तेज बहुत है धूप ।
नदियां भी गर्मी से व्याकुल
व्याकुल हैं नल कूप ।।
बिल्ली भेंड बकरियां प्यासी
प्यासे हाथी शेर ।
कौआ कोयल पिड़की प्यासी
प्यासी बया बटेर ।।
किरणें सुई चुभातीं हर पल
खुजली करे शरीर ।
चिप चिप करता बहे पसीना
बहता जैसे नीर ।।
आओ हम सब पेड़ लगाएं
ठंडी बहे बयार।
जल स्तर ऊपर उठ जाए
मिले नया उपहार ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
उज्ज्वल सदन
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