बादलो का कुसूर नही उन्हें तो आना ही था।
धरती पानी पानी करके प्यास को बुझाना था।।
नदियो को घेर कर रोकने की जुर्रत में इंसान।
बनाकर गया घर दुकान उन्हें तो गिराना ही था।।
प्रकृति का रहा सम्बन्ध सदियो से ऋतुओ से,
मौसम के हिसाब से फसलो को उगाना ही था।
हवा का झौंका जब लेकर आता नमी 'उपदेश',
सुहाना लगता मनमीत उसे तो मुस्काना ही था।