अरे ओ हरिया पार्ट-2
गब्बर - सुबह-सुबह ये हरिया कहां मर गया (हरिया को बुलाने के लिए हांक लगाते हुए) हरिया, अरे ओ हरिया......।
हरिया - (ऊंची आवाज में जवाब देते हुए ) जी सरदार, अभी आया
गब्बर - ( पास आने पर चिल्लाते हुए ) कहां गायब हो गया था रे, मच्छर की तरह..।
हरिया - सरदार उगाही पर गया था, अभी लौटा तो आपकी आवाज सुनाई पङी, हुजूर कैसे याद किया।
गब्बर - दो लाठी दिन चढ़ आया और तुझे खबर ही नहीं मैंने तुम्हें किस को पकङ कर लाने को कहा था।
हरिया - सरदार मैंने तो कल ही अपने आदमियों को उस दिलजले शायर अशोक पचौरी और नखरीली रीना प्रजापत को पकङ कर लाने के लिए काम पर लगा दिया था। अपने खास आदमी ने बताया कि ये लिखन्तु डाॅट काॅम वालों ने के किसी कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली गए हैं। सुना है कि वहां वेदव्यास मिश्र, ताज मोहम्मद, अर्पिता पांडे, जैसे बङे-बङे शायर आ रहे हैं, उसमें भाग लेने के लिए वो बिगङेल और अवारा आशिक लेखराम यादव भी भाग ले रहा है। ये दोनों परसों जैसे ही धौलपुर के जंगल में प्रवेश करेंगे हमारे आदमी उन्हें दबोच लेंगे और हुजूर की सेवा में पेश कर दिया जाएगा।
गब्बर - हूं...... .... इसका मतलब हमें उनका कल तक और इन्तजार करना पङेगा ।
हरिया - जी सरदार वो तो करना ही पङेगा।
गब्बर - हूं ...... ठीक है अपने और आदमी रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और एयरपोर्ट पर निगरानी पर लगा दो।
हरिया - जी सरदार अभी लगा कर आता हूं।
.. क्रमशः ... शेष अगले भाग में।
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