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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुझे किसी से प्यार नहीं

मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी से प्यार है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे ये दिल सिर्फ़ उसी के लिए
धड़कता है।।

मुझे किसी का इंतज़ार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी का इंतज़ार हो।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे उससे मिलने को ये दिल बेकरार हो।।

मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी से प्यार है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे साॅंसे मेरी चलती उसी के लिए है।।

मुझे किसी की चाह नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
कि मुझे किसी की चाह है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
कि मुझे उसे पाना है।।

मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है
जैसे किसी से प्यार है.....

- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Mujhey kisi se pyar nahi Mujhey kisi ki chaah nahi bahut khoob manushya ke man ki chanchlta ko bayan kiya hai aapne..sundar rachna Pranam Sweekar karein

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut khoob sundar prastuti

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