मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी से प्यार है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे ये दिल सिर्फ़ उसी के लिए
धड़कता है।।
मुझे किसी का इंतज़ार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी का इंतज़ार हो।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे उससे मिलने को ये दिल बेकरार हो।।
मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे किसी से प्यार है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
जैसे साॅंसे मेरी चलती उसी के लिए है।।
मुझे किसी की चाह नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है...
कि मुझे किसी की चाह है।
फिर भी क्यों ये लगता है...
कि मुझे उसे पाना है।।
मुझे किसी से प्यार नहीं है,
फिर भी क्यों ये लगता है
जैसे किसी से प्यार है.....
- रीना कुमारी प्रजापत