सच बोलने का इनाम अब तू क्या देगा
है जो तेरे पास सिवाय उसके तू क्या देगा
लगा कर दांव पर जान घर से निकलेगा
देने को उसके पास भी और क्या होगा
जब से बना है सत्ता का मयखाना जमीर तेरा
पैमाने पे पैमाने पिए जा कोई करेगा क्या तेरा
झूठ के नकाब में साथ तेरे नाचेगा शहर तेरा
डर नहीं, काफिला डरपोको का है शहर तेरा
मुर्दे जमिरों के कंधे पर उठा साथ देने आएं है,
लोग अपनी औकात दिखाने तेरे पास आएं है
है कहाँ तूं उनका भी है पास जो तेरे आए है
हवस की आग जला देगी पास जो तेरे आएं है
थी जिद्द जिहें सच कहने की उन्हें तू न झुका सका
था कोई शैतान तेरे जिगर में तूं छिपा न सका
था सच जिनकी आँखों में उनसे तूं भी छिप न सका
बरबादियाँ थी हवसे सब तेरी जीते जी जान न सका

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




