कहने के लिए हो कुछ सुनने के लिए हो
रंगीन कोई सपना बस बुनने के लिए हो
आवाज भला कैसी दिल को नहीं छूती है
होंठो में सजी जुम्बिश उभरने के लिए हो
सुर ताल नहीं कोई हैं लफ्ज भी बेमानी से
शायर जो लिखे नगमा महकने के लिए हो
क्यों कैद में जकड़ा इन नादान परिंदो को
पर इनको अता ज़ब आकाश में उड़ने को
जाना है बहुत दूर अभी चहकते बच्चों को
आँखों में हंसी ख्वाब तो चुनने के लिए हो
दास मुहब्बत का उलझा सा है अफसाना
जीना हो कि मरना हो समझने के लिए हो

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




