समय के धनी संघर्ष से जूझते देखे गये।
जिम्मेदारियो को अब भी ढोते देखे गये।।
इतने व्यस्त कि सांस लेने की फुर्सत नही।
मन से स्वीकारते ही नही ऐंठ में देखे गये।।
इस तरह के लोग अक्सर भावावेश से भरे।
अन्दर से टूटे हुए बाहर से जवान देखे गये।।
कल्पना कीजिए 'उपदेश' उनके फैसलो पर।
तजुर्बा के धनी जरूर तन से निर्धन देखे गये।।