जिस दिल में ख़ोज की शक्ति नहीं उस दिल में खुदा नहीं शैतान बसता है
किसी के कहने पर चलने वाला शख़्स इन्सान नहीं गुमराह होता है
कविता कोश में चयन अनलोगों का नहीं होता जिस ने ख़ोज को जन्म दिया
जन्म धारी लोग नाम का दिवाना नहीं आविष्कार का दीवाना होता है
जिनमें आविष्कार की शक्ति नहीं होता ऐसे कवि जी हजूरी से काम लेता है
प्रसिद्ध हो जाना गुण होने का दलील हरगिज़ नहीं सफाई पेश करने जैसा है
कोई अपने दिल की आत्मा से पूछे धर्म पहले या इंसानियत पहले होता है
दुनियां की वजूद से पहले धर्म नहीं शक्ति प्रदर्शन था न झूठ न सच्चाई का ज्ञान था
कौन कहता है मौत के बाद मज़हब के आधार पर खुदा के यहां हिसाब होगा
धन, शिक्षा , स्वस्थ का प्रयोग कहां किया इसका हिसाब होगा आधार सच्चाई होगा
धर्म इस्लाम के बानी मुहम्मद नहीं थे_ बुत परस्ती की बानी भी कोई नहीं था
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी
मु एकफक्कीर मखलूकात ! मुफक्कीर कायनात ! लेखक ! कवि ! व्यूवर !