राब्ता मन से हो तो अच्छा है।
राब्ता तन से अच्छा नहीं।
आपने किसी के मन को छुआ हो
ये आपकी खुशकिस्मती।
छूना बदन अच्छा नहीं।
मोती बन जाऊं सीप में समाकर
ये बूंद की खुशकिस्मती है।
तपती रेत में गिरने पर अस्तित्व नाश होता है।
गिरना कीच मलिन अच्छा नहीं।
तितली जो नाज़ुक पंखों से उड़ान भरती है
उसे छूना गुनाह हो जाता है।
कि दूर से ही देखना भला है
पंखों को छुअन अच्छा नहीं।
बातें करना तो ख्याल रखना
अपने लफ्ज़ों का ज़रूरी है।
इक्कीसवीं सदी सनातन का बिगुल बज रहा है
विचारों से कौंधते यौवनों से संस्कृति का मर्दन अच्छा नहीं।
लिखना चाहिए हर एक बात को
जो भी परेशान करें देह के तूफ़ान को।
कि इस उम्र को जीना ज़रा मुश्किल है
पर बिना घुटन अच्छा नहीं।
दुनिया की भीड़ में गुम होने से
ख़ुद को बचाए रखना बाज़ारवाद से।
कि परमात्मा से मिले बिना
आत्मा का मिलन अच्छा नहीं।
----मनीषा