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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुम मुझको कल का भय देते - तेज प्रकाश पांडे



तुम मुझको कल का भय देते ,
भविष्य की सोच जगाते हो l
मृत्यु की गोद से उठा हूँ मैं ,
और मुझे ही भय दिखलाते हो l
कल की बातें करते हो ,
कल से मुझे डराते हो l
पिछले कल की बातें है ,
वर्ष एक भी अभि गुजरा नहीं l
काल के मुख में जीवन था ,
फिर भी मैं तो डरा न था l
है धन्यवाद उन लम्हों का ,
माना भीषण् संताप मिला l
पर थोडी थोडी ही तो सही ,
अपनो को मैं पहचान लिया l
किस भय से मुझे डराओगे ,
मृत्यु खुद की थी मैंने देखी l
अब भला बताओ मुझको तुम ,
इससे वीभत्स्य क्या दिखलाओगे l
ना चिंता मुझको कल की अब ,
ना गुजरे वक्त तड़पाते है l
जीवन की सत्ता कितनी है ,
बस पिछले वर्ष था जान लिया l
ना डर मुझको तूफानो से ,
ना दावानल दहलाती है l
ना डर लगता अब मृत्यु से ,
ना कोई पीड़ा होती अब l
मैंने सब कुछ पहचान लिया ,
मृत्यु को भी जान लिया l
मृत्युंजय ने जीवन दान दिया ,
जगदम्बा ने वरदान दिया l
हसकर झेलु हर पीड़ा को l
समय ने वह चट्टान दिया l

----तेज प्रकाश पांडे
[इको क्लब अध्यक्ष]




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

फ़िज़ा said

वाकई कबीले तारीफ लिखा आपने यदि में सही jud pa rahi हूँ तो covid के समय से इसका सम्बन्ध है? यदि नहीं तो कृपया मेरी सोच को ठीक करने के लिए सन्दर्भ bata payenge तो kavita से jud paungi

ताज मोहम्मद said

अति सुन्दर प्रस्तुति। बहुत ही उम्दा रचना।

तेज प्रकाश पांडे said

Fijaji ye meri khud ki peeda par hai jab Mai pichhle year blod infection ki wjh se maut se jhujh rha tha

डॉ कृतिका सिंह said

जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल ना बाका कर सके चाहे जग बैरी होय, आप हमेशा स्वस्थ रहें, प्रेरणादायक कविता बहुत सुंदर

Vineet Garg said

व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में नहीं डरना चाहिए आपने बिल्कुल सही कहा

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