इस पावन पवित्र सावन माह में परम् कृपालु भगवान शिव परम् धाम से धराधाम पर पधारे
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ने प्रभु का जलाभिषेक करके स्वागत किया l माँ गौरी की मनोकामना को पूर्ण करने का सटीक समय सावन माह ही रहा l
इसी माह में देवाधिदेव महादेव ने देव, नर, गन्धर्व, किन्नर, भूत, बैताल, पिशाच आदि को बारातीय संरक्षण प्रदान किया lऔर इन सभी को सम्पूर्ण जगत के समक्ष अपना बनाया l
प्रभु ने ब्रह्म लेख को समीक्षित करके, यम से तनातनी करके,भक्त मार्कण्डेय को मृत्यु पाश से मुक्त किया l सावन की महत्ता कल्पना से परे है, इसे आत्मिक शुद्धि का परम् माध्यम माना जाता है l
भगवान शिव स्वयं जल हैं, जिस प्रकार जल से जल मिलने पर इतराने लगता है वैसे ही प्रभु भक्ति भाव से चढ़ाए गए जल को पाकर इतराने लगते हैं l
भगवान भक्त वत्सल हैं प्राणी जो कुछ भी मनोभाव से अर्पित कर दे सब स्वीकार कर लेतें हैं l भगवान विष्णु ज़ब शयन अवस्था में चले जाते हैं तो सम्पूर्ण सृष्टि के संचालन का विशेष अधिकार भगवान शिव को ही प्राप्त होता है l भगवान शिव सम्पूर्ण सृष्टि को मनोवांछित फल प्रदान करने के लिए सदैव तत्पर रहतें हैं l
इस मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक विशेष फलकारक होता हैl भक्त जो कुछ भी अर्पित कर दे, सब स्वीकार होता है प्रभु को l यह कहना सर्वथा उचित होगा कि ' शिव सबके.... शिव के सब ''l
सावन की अपार महिमा को शब्द में पिरो पाना असम्भव सा है पर भक्तों की परम् श्रद्धा के आगे शिव निःशब्द हो जाते हैं मानो मौन धारण करके केवल वरद हस्त उठाते रहते हैं और भक्तो की मनोकामना पूर्ण करते रहते हैं l
-सिद्धार्थ गोरखपुरी