चंद लम्हे बस खुशी के गम मग़र भरपूर हैं
जिन्दगी के इस सफर में मंजिलें सब दूर हैं
इश्क की राहों में जो एक कदम बढ़ा दिया
पांव में छाले लिए मगर चलने को मजबूर हैं
कोई खुद के गम में कोई गैर की खुशियों पे
बेवजह मातम मनाते सब इंसा गम में चूर हैं
मौसमों का फर्क जब हावी बदन पे हो चले
तो समझ लेना इशारे सब कुदरत के मंजूर हैं
दिल ही दिल में जल गए दास के अरमान तो
अब कहाँ की मस्तियाँ हैं अब कहाँ के नूर हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




